भागलपुर लोक आस्था के महापर्व छठ प्रकृति पर्व के रूप में मनाया जाता है। बांस के बने सूप और डाला का एक अलग ही महत्व है। इसलिए शुद्ध और पवित्र इसे माना जाता है। सूप बनाने वाले कारीगर पिछले दो महीना पहले से छठ को लेकर सूप और डाला बनाने में जुट जाते हैं। बांस का सूप बनाने वाले कारीगर महा दलित परिवार के होते हैं और यह अपना हाथ का हुनर दिखाकर सूप और डाला बनाते हैं। इसके बाद भी कारीगर का जीवन बदहाल है। चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत नहाए खाए के साथ ही आज से शुरू हो गया है।
बांस के सूप पर पूजन सामग्री रख छठ व्रती सूर्यास्त और सूर्योदय पर अर्ग अर्पण करती है। मल्लिक परिवार के लोगों का यह काम पुश्तैनी है। लोक आस्था का रंग आज से समूचे बिहार के साथ भागलपुर में भी दिखने लगा है। भागलपुर के हसनगंज किनारे दलित समुदाय के लोग परिवार के साथ मिलकर सूप बना रहे हैं। परिवार को दो वक्त की रोटी उपलब्ध कराने के लिए यह परिवार पिछले दो महीना से सूप और डाला बनाने का काम कर रहे हैं ।
सूप बना रहे कारीगर बम बम बासफोड़ ने कहा कि इस बार भागलपुर में बाढ़ के आने से समय पर हम लोग बांस का खरीदारी नहीं कर पाए और जब कम समय में हम लोग बांस का खरीदारी किया तो काफी महंगा मिला। सूप बना रही महिला कहती है कि दो महीना पहले से हम लोग परिवार के साथ मिलकर सूप और डाला बनाते हैं लेकिन हम लोग को व्यापारी उचित मूल्य नहीं देते हैं।