बिहार के सीतामढ़ी जिले से मानवता को झकझोर देने वाली एक शर्मनाक घटना सामने आई है। मेजरगंज प्रखंड के मल्लाही गांव में एक किराना दुकानदार ने पांच मासूम बच्चों को टॉफी चोरी के संदेह में तालिबानी सजा दे डाली। इस क्रूर सजा में बच्चों को न केवल नग्न कर बाजार में घुमाया गया, बल्कि उनका सिर भी मुंडवा दिया गया, चेहरे पर चूना लगाया गया और गले में चप्पलों की माला पहनाई गई। यह अमानवीय दृश्य कैमरे में कैद हो गया और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।

घटना सामने आते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आया। सीतामढ़ी एसपी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सदर एसडीपीओ रामकृष्ण को जांच का जिम्मा सौंपा। जांच के दौरान पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान दुकानदार रविंद्र कुमार, वैभव कुमार और समीर कुमार के रूप में हुई है।
पुलिस के अनुसार, दुकानदार रविंद्र कुमार ने आरोप लगाया था कि उसकी दुकान से बीते कुछ दिनों से बार-बार टॉफी और चॉकलेट चोरी हो रही थी। संदेह के आधार पर उसने आसपास के बच्चों पर नजर रखनी शुरू की। रविवार को पांच बच्चों को पकड़कर उन पर चोरी का आरोप लगाते हुए उसने अपनी दो अन्य साथियों के साथ मिलकर यह क्रूर हरकत की। पांचों मासूम बच्चों को सिर मुंडवाकर, चेहरे पर चूना पोतकर, गले में चप्पलों की माला पहनाकर पूरे बाजार में घुमाया गया। इस दौरान कई लोग खड़े होकर तमाशा देखते रहे, कुछ ने वीडियो भी बना लिया।
वीडियो वायरल होने के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया। घटना की निंदा करते हुए लोगों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। बच्चों के परिवारवालों ने इस अमानवीय कृत्य को लेकर भारी आक्रोश जताया और बताया कि बच्चों से हुई गलती को सुधार का मौका देने की बजाय इस तरह की सजा देना अत्यंत अमानवीय है।
एसडीपीओ रामकृष्ण ने मीडिया को बताया कि घटना की पुष्टि होने के बाद मेजरगंज थाने में प्राथमिक दर्ज की गई और तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। बच्चों के साथ किए गए दुर्व्यवहार को लेकर बाल संरक्षण आयोग से भी रिपोर्ट मांगी गई है। पुलिस इस मामले में अन्य संलिप्त व्यक्तियों की भी पहचान कर रही है।
यह घटना न केवल समाज में गिरते नैतिक मूल्यों को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि आज भी कई इलाकों में कानून को हाथ में लेने की प्रवृत्ति कायम है। बच्चों के साथ इस प्रकार की सजा न केवल बाल अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा आघात करता है।
मानवाधिकार संगठनों और बाल कल्याण समितियों ने इस घटना पर तीव्र प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने राज्य सरकार से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और पीड़ित बच्चों के मानसिक और शैक्षणिक पुनर्वास की मांग की है।
इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या चोरी जैसे छोटे अपराध के लिए बच्चों को ऐसी बर्बर सजा देना किसी भी दृष्टिकोण से उचित है? उम्मीद की जानी चाहिए कि दोषियों को कानून के तहत कड़ी सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
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