ग्रीष्मकालीनग्रीष्मकालीन



बिहार सरकार ने राज्य में लगातार बढ़ती गर्मी और लू की स्थिति को देखते हुए एक अहम फैसला लिया है। राज्य के सभी सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में 2 जून से 21 जून 2025 तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित किया गया है। यह निर्णय छात्रों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लिया गया है। शिक्षा विभाग ने पहले से ही अपने वार्षिक अवकाश कैलेंडर में जून माह में गर्मी की छुट्टी का प्रावधान किया था, लेकिन इस बार मौसम की गंभीरता को देखते हुए इसे विशेष रूप से लागू किया गया है।

### छात्रों और शिक्षकों को छुट्टी, लेकिन प्रधानाध्यापक रहेंगे तैनात

इस अवकाश के दौरान छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को भी विद्यालय आने की अनिवार्यता से छूट दी गई है। हालांकि, सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को हर दिन स्कूल आना होगा। शिक्षा विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि प्रधानाध्यापक छुट्टी के दौरान विद्यालय के प्रशासनिक कार्यों की देखरेख करेंगे। उन्हें विद्यालय की सभी ज़रूरी गतिविधियों को सुनिश्चित करने, कार्यालयीय पत्राचार संभालने और आपात स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

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जिला शिक्षा कार्यालयों की ओर से इस संबंध में विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत प्रधानाध्यापक को सरकारी आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करना, वित्तीय प्रबंधन से जुड़ी ज़िम्मेदारियां निभाना और समग्र विद्यालय व्यवस्था की निगरानी करनी होगी। विशेष परिस्थिति में वे अन्य शिक्षकों को भी विद्यालय बुला सकते हैं, यदि किसी कार्य के लिए उनकी आवश्यकता हो।

### शैक्षणिक गतिविधियों की बहाली 23 जून से

इस 20 दिवसीय अवकाश के पश्चात राज्य के सभी विद्यालय 23 जून 2025 से दोबारा खुलेंगे। 22 जून को रविवार होने के कारण शिक्षण कार्य अगले दिन से शुरू किया जाएगा। शिक्षा विभाग का कहना है कि यह निर्णय न केवल छात्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, बल्कि इससे विद्यालय खुलने के बाद शैक्षणिक गतिविधियों के सुचारु संचालन में भी मदद मिलेगी। इस अवकाश अवधि में दो प्रमुख त्योहार—ईद-उल-अधा (10 जून) और कबीर जयंती भी पड़ रहे हैं, जिससे छात्रों को पर्व मनाने का भी पर्याप्त समय मिलेगा।

### छात्रों के लिए छुट्टी में भी शैक्षणिक पहल

छात्रों को केवल अवकाश देकर शिक्षा विभाग ने अपनी ज़िम्मेदारी समाप्त नहीं मानी है। विभाग ने इस दौरान छात्रों को शैक्षणिक रूप से सक्रिय रखने के लिए एक विशेष पहल की है। कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को व्यावहारिक एवं रचनात्मक असाइनमेंट दिए गए हैं। उदाहरण स्वरूप, छात्रों से कहा गया है कि वे किसी किसान का साक्षात्कार लें, घर पर दही जमाने की प्रक्रिया को समझें और उसका संक्षिप्त विवरण लिखें। ये गतिविधियां छात्रों में न केवल सीखने की रुचि बढ़ाएंगी, बल्कि उन्हें अपने परिवेश से जुड़ने का अवसर भी देंगी।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि छात्र छुट्टियों में पढ़ाई से पूरी तरह कट न जाएं और उनके अंदर जिज्ञासा बनी रहे। इसके अलावा अभिभावकों को भी इन असाइनमेंट्स में बच्चों की मदद करने को कहा गया है, जिससे घर पर पारिवारिक वातावरण में सीखने की प्रक्रिया को बल मिले।

### गणितीय समर कैंप: कमजोर छात्रों के लिए विशेष क्लास

शिक्षा विभाग ने एक और सराहनीय पहल करते हुए ‘गणितीय समर कैंप’ की शुरुआत की है। यह कैंप 21 मई से 20 जून 2025 तक चलेगा और इसका उद्देश्य कक्षा 5 एवं 6 के उन छात्रों को लाभ पहुंचाना है, जिन्हें गणित विषय में कठिनाई होती है। इस कैंप में स्वयंसेवी शिक्षक छात्रों को विज्ञान और गणित के विषय में रचनात्मक एवं सरल तरीकों से पढ़ाएंगे।

गणितीय समर कैंप की कक्षाएं प्रतिदिन दो घंटे की होंगी, और स्वयंसेवी शिक्षक अपनी सुविधा के अनुसार सुबह या शाम का समय तय करेंगे। इन कक्षाओं का आयोजन स्थानीय सामुदायिक भवन, पंचायत भवन या ऐसे स्थानों पर किया जाएगा जहां बच्चों को सहज वातावरण मिल सके। स्वयंसेवी शिक्षक बच्चों के मन में गणित के प्रति डर को खत्म करने और उनकी समझ को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे।

इस पहल से न केवल छात्रों को लाभ मिलेगा बल्कि स्थानीय स्तर पर सामुदायिक भागीदारी को भी बल मिलेगा। यह कार्यक्रम उन बच्चों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो नियमित कक्षा में सीखने की गति से पीछे छूट जाते हैं।

### निष्कर्ष

बिहार सरकार एवं शिक्षा विभाग का यह निर्णय न केवल मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने की तैयारी है, बल्कि एक संवेदनशील, दूरदर्शी और व्यावहारिक सोच का परिचायक भी है। छात्रों की सुरक्षा, उनकी शिक्षा की निरंतरता और विद्यालय प्रशासन की सतर्कता को संतुलित रूप से साधने की यह कोशिश प्रशंसनीय है।

बच्चों के लिए यह समय जहां एक ओर गर्मी से राहत का है, वहीं दूसरी ओर रचनात्मक गतिविधियों और सीखने के नए अवसरों का भी है। यदि ये योजनाएं प्रभावी रूप से लागू होती हैं, तो यह बिहार में स्कूली शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा दे सकती हैं।

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