गंगागंगा

बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गंगा और कोसी नदी के किनारे तटबंधों पर जल संसाधन विभाग द्वारा कराए जा रहे कटाव निरोधी कार्यों की निर्धारित समय सीमा 15 जून को समाप्त हो गई है। परंतु, समय सीमा बीत जाने के बावजूद कई स्थानों पर कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। इसके चलते तटवर्ती गांवों में रहने वाले लोग भयभीत हैं और बाढ़ की आशंका से चिंतित हैं।

बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल कार्यालय, नवगछिया की ओर से ठेकेदारों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि अब हर हाल में 30 जून तक अधूरे कार्यों को पूर्ण किया जाना चाहिए। इसके बाद 30 अक्टूबर तक के बाढ़ कैलेंडर के अंतर्गत संवेदनशील तटबंधों और स्परों पर आवश्यकतानुसार ‘फ्लड फाइटिंग’ के तहत कार्य किया जाएगा।

तटबंधों की लंबाई और निगरानी व्यवस्था

बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल कार्यालय नवगछिया के अंतर्गत गंगा और कोसी नदी के कुल 98 किलोमीटर लंबे तटबंध शामिल हैं। इन तटबंधों पर बाढ़ के दौरान दबाव या कटाव की आशंका बनी रहती है। इस समस्या से समय रहते निपटने के लिए विभाग की ओर से एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। प्रत्येक किलोमीटर पर एक स्थानीय ग्रामीण मजदूर की प्रतिनियुक्ति की जाएगी, जो किसी भी आपात स्थिति की सूचना तत्काल विभागीय अभियंताओं को देगा। इस प्रकार कुल 98 मजदूरों को दैनिक पारिश्रमिक पर रखा जाएगा।

रात्रि के समय तटबंधों पर निगरानी में सुविधा के लिए जनरेटर की व्यवस्था की गई है ताकि आवश्यक रोशनी उपलब्ध हो सके। कटाव की स्थिति से निपटने के लिए सामग्री की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। विभाग की ओर से 12 लाख इसी बैग, 5000 जिओ बैग और पर्याप्त संख्या में मेगा बैग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। साथ ही, कैंप कार्यालयों में 24 घंटे ट्रैक्टर और एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी ताकि किसी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई संभव हो सके।

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अभियंताओं की तैनाती और निगरानी

कटाव निरोधी कार्यों की गुणवत्ता और गति बनाए रखने के लिए विभाग की ओर से अभियंताओं की सघन प्रतिनियुक्ति की गई है। बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ई. गौतम कुमार ने जानकारी दी कि 17 कनीय अभियंता और चार सहायक अभियंताओं को अलग-अलग कार्यस्थलों पर तैनात किया गया है। इनकी जिम्मेदारी है कि वे सतत निरीक्षण करते हुए कार्य की प्रगति और गुणवत्ता की निगरानी करें।

कुछ स्थानों पर कार्य अधूरा

हालांकि, अधिकांश स्थानों पर कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है, लेकिन कुछ तटबंधों पर अभी भी कार्य शेष है। खासकर इस्माईलपुर-बिंद टोली तटबंध के टुटान (टूटने वाले स्थान) पर कार्य अभी भी जारी है। कार्यपालक अभियंता ने बताया कि टुटान पर अभी तक लगभग 70 से 80 प्रतिशत कार्य ही पूर्ण हो पाया है। शेष कार्यों को युद्ध स्तर पर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि कोसी नदी के जलस्तर में फिलहाल मामूली वृद्धि देखी जा रही है, जिससे स्थिति नियंत्रण में है, फिर भी विभाग द्वारा पूरी सतर्कता बरती जा रही है।

तटवर्ती ग्रामीणों की चिंता

तटबंधों के किनारे बसे गांवों के लोगों की चिंता बनी हुई है। समय सीमा बीत जाने और कार्य के अधूरे रहने से उन्हें डर सता रहा है कि कहीं अचानक कटाव या जलस्तर में वृद्धि होने पर वे संकट में न पड़ जाएं। पिछले वर्षों के बाढ़ अनुभवों को देखते हुए ग्रामीणों की चिंता स्वाभाविक है।

निष्कर्ष

जल संसाधन विभाग की ओर से बाढ़ से पूर्व कटाव निरोधी कार्यों की योजना व व्यवस्था निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन समय पर कार्य पूरा न होना एक बड़ी चिंता का विषय है। 30 जून तक सभी कार्यों को पूरा करना अब विभाग की प्राथमिकता बन गई है। साथ ही, फ्लड फाइटिंग के तहत तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करने की तैयारियों को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने की जरूरत है। तटबंधों की निगरानी के लिए मजदूरों की प्रतिनियुक्ति, रोशनी के लिए जनरेटर, पर्याप्त बैगों की उपलब्धता और 24 घंटे एंबुलेंस-ट्रैक्टर जैसी व्यवस्थाएं दर्शाती हैं कि विभाग इस बार पहले से अधिक सतर्क है। फिर भी, जब तक सभी कार्य समय पर पूर्ण नहीं हो जाते, तब तक तटवर्ती गांवों में डर का माहौल बना रहेगा।

गंगा
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