सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) कविराधाप में ममता कार्यकर्ता की हालिया नियुक्ति को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस नियुक्ति को लेकर क्षेत्र के निवासी असोक राम ने आयुक्त कोशी प्रमंडल सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को एक लिखित शिकायत भेजकर आरोप लगाया है कि मार्च 2025 में हुई चयन प्रक्रिया में भारी अनियमितता और नियमों की अनदेखी की गई है।
**स्थानीयता के नियमों की अवहेलना का आरोप**
शिकायतकर्ता असोक राम का कहना है कि नियुक्त की गई ममता कार्यकर्ता संबंधित पंचायत की स्थायी निवासी नहीं हैं, जबकि ममता कार्यकर्ता की नियुक्ति के लिए यह अनिवार्य शर्त है कि उम्मीदवार उसी पंचायत की स्थायी निवासी होनी चाहिए जहां उसकी नियुक्ति की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि चयन में इस महत्वपूर्ण मापदंड की पूरी तरह अनदेखी की गई, जिससे स्थानीय योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन हुआ है।

**दस्तावेजों में खामियां और पारदर्शिता पर सवाल**
असोक राम ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि चयनित उम्मीदवार के दस्तावेजों में कई खामियां हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रमाण-पत्रों की ठीक से जांच नहीं की गई और फॉर्म भरने से लेकर इंटरव्यू तक की प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर पारदर्शिता नहीं बरती गई। उनका कहना है कि चयन समिति ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हुए कुछ खास उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी और अन्य योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर दरकिनार कर दिया गया।
**चयन प्रक्रिया की वैधता पर प्रश्नचिह्न**
शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया कि जब चयन की मूल शर्तों को ही नजरअंदाज किया गया हो, तो उस नियुक्ति को वैध कैसे माना जा सकता है? उन्होंने इस नियुक्ति को पूर्ण रूप से अवैध और नियमों के विरुद्ध बताया। असोक राम ने कहा कि यह केवल एक उम्मीदवार की नियुक्ति नहीं, बल्कि संपूर्ण चयन प्रक्रिया की साख पर प्रश्नचिह्न है।
**निष्पक्ष जांच और पुनः चयन की मांग**
असोक राम ने अपने पत्र में यह मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो सके। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि वर्तमान नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए और चयन प्रक्रिया को पुनः शुरू किया जाए, ताकि स्थानीय योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिल सके।
**स्थानीय युवाओं में आक्रोश**
इस पूरे मामले को लेकर पंचायत क्षेत्र के युवाओं और महिलाओं में भी रोष देखा जा रहा है। उनका कहना है कि जब सरकार रोजगार के अवसर बढ़ाने की बात करती है, तब ऐसी अनियमितताओं से युवाओं का विश्वास प्रणाली पर से उठ जाता है। कई युवाओं का यह भी कहना है कि यदि इसी तरह बाहरी लोगों को नियमों को तोड़कर नियुक्त किया जाएगा, तो स्थानीय बेरोजगारों के लिए आशा की कोई किरण नहीं बचेगी।
**स्थानीय प्रशासन की चुप्पी**
वहीं दूसरी ओर, इस विवाद पर स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचने के बाद इसे गंभीरता से लिया जा रहा है और जल्द ही जांच के आदेश दिए जा सकते हैं।
**पंचायत स्तरीय नियुक्तियों में पारदर्शिता की दरकार**
यह मामला एक बार फिर पंचायत स्तर की नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ममता कार्यकर्ता जैसी जिम्मेदारियों से जुड़ी नियुक्तियों में यदि नियमों का पालन नहीं किया जाता, तो इससे न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, बल्कि लाभार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
**निष्कर्ष**
सलखुआ प्रखंड के कविराधाप पीएचसी में ममता कार्यकर्ता की नियुक्ति को लेकर उठे सवालों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर चिंता जताई है। यदि आरोपों में सच्चाई पाई जाती है, तो यह मामला केवल एक नियुक्ति तक सीमित न रहकर पूरे स्वास्थ्य विभाग की साख को प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है।
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