बिहार के रोहतास जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था और निजी क्लिनिकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले के काराकाट थाना क्षेत्र के गोरारी गांव में एक **झोलाछाप डॉक्टर** द्वारा वीडियो कॉल पर कराए गए ऑपरेशन के चलते **26 वर्षीय गर्भवती महिला की मौत** हो गई। घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है।

घटना काराकाट के गोरारी गांव की है, जहां **संगीता देवी**, पत्नी **विनोद प्रसाद**, प्रसव के लिए अस्पताल गई थीं। बताया जा रहा है कि एक **आशा कार्यकर्ता ने संगीता को बहलाकर** सरकारी अस्पताल के बजाय एक फर्जी निजी क्लिनिक में भर्ती करवा दिया। क्लिनिक में कोई प्रशिक्षित डॉक्टर मौजूद नहीं था, लेकिन फिर भी महिला का ऑपरेशन शुरू कर दिया गया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि ऑपरेशन **वीडियो कॉल पर मौजूद किसी डॉक्टर के निर्देश** पर किया गया। परिजनों का आरोप है कि बिना किसी अनुभव या विशेषज्ञता के झोलाछाप डॉक्टर ने वीडियो कॉल के माध्यम से महिला की डिलीवरी कराई और इसी दौरान महिला की **मौत हो गई**।
परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन के दौरान जब संगीता की हालत बिगड़ने लगी, तो डॉक्टर और स्टाफ उसे वहां से जल्दी से जल्दी ले जाने की जिद करने लगे। मशीनें हटाई जाने लगीं और डॉक्टर ने कहा, “इसे कहीं और ले जाइए।” इसके बाद डॉक्टर मौके से फरार हो गया।
**संगीता की बहन सुनीता** ने बताया कि जब वह डॉक्टर से बार-बार मरीज को रेफर करने की बात कर रही थी, तभी डॉक्टर ने वीडियो कॉल कर किसी अन्य व्यक्ति से बात की और उसी के निर्देशों पर इलाज शुरू कर दिया गया। थोड़ी देर में ही हालत बिगड़ी और ऑपरेशन टेबल पर ही संगीता ने दम तोड़ दिया।
इस पूरे मामले में आशा कार्यकर्ता की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार, संगीता को पहले **सीएचसी काराकाट** में भर्ती किया गया था, जहां डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर बताकर **सदर अस्पताल, सासाराम रेफर** कर दिया था। लेकिन बीच में आशा कार्यकर्ता ने परिजनों को बरगलाकर एक निजी क्लिनिक में भर्ती करवा दिया। वहीं, इस क्लिनिक में कथित डॉक्टर **राजदेव कुमार सिंह** ने ऑपरेशन किया।
इस दर्दनाक घटना में जहां एक ओर संगीता की **मौत हो गई**, वहीं दूसरी ओर **नवजात बच्चा सुरक्षित बच गया।** मृतका के पति विनोद प्रसाद, जो कि **हैदराबाद में मजदूरी करते हैं**, ने कहा कि जब वे अस्पताल पहुंचे तो उनकी पत्नी मृत अवस्था में पड़ी थी और डॉक्टर ने कहा कि “सीएचसी ले जाइए, मैं वहीं आता हूं”, लेकिन डॉक्टर मौके से भाग निकला।
घटना की सूचना मिलते ही **काराकाट थाना अध्यक्ष भगीरथ कुमार** पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए **सदर अस्पताल, सासाराम** भेज दिया गया। **सिविल सर्जन डॉ. मणिराज रंजन** के निर्देश पर फर्जी क्लिनिक को **तुरंत सील** कर दिया गया है।
सिविल सर्जन ने कहा कि जिले में चल रहे **अवैध क्लिनिकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर छापेमारी अभियान** चलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में आशा कार्यकर्ता की भूमिका की भी जांच की जाएगी और उस पर भी **कड़ी कार्रवाई** की जाएगी।
“जिले में चल रहे अवैध क्लिनिकों के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया जाएगा। सीओ व थानाध्यक्ष के नेतृत्व में धावा दल का गठन कर सख्ती से निपटा जाएगा। आशा पर भी कार्रवाई होगी।”** – *डॉ. मणिराज रंजन, सिविल सर्जन*
इस पूरे मामले ने बिहार की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। सरकारी अस्पतालों की अनदेखी और निजी फर्जी क्लिनिकों की भरमार ने ग्रामीण इलाकों में लोगों की जान को खतरे में डाल दिया है। आशा कार्यकर्ताओं की मिलीभगत और झोलाछाप डॉक्टरों की मनमानी की कीमत अब मासूम जिंदगियों को चुकानी पड़ रही है।
संगीता देवी की मौत महज एक दुर्घटना नहीं, बल्कि बिहार की लचर स्वास्थ्य प्रणाली की भयावह सच्चाई है। यदि समय पर उचित इलाज मिला होता, तो आज संगीता जीवित होती। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले को कितना गंभीरता से लेता है और क्या इस तरह के फर्जी क्लिनिकों पर अंकुश लगाया जाता है या नहीं।
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