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भागलपुर, बिहार — एक आम, जो अब सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि भावना, बहादुरी और बदलाव की कहानी बन चुका है। जी हां, बात हो रही है “**सिंदूर**” नामक उस आम की, जो “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद चर्चा में आया और अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) की 11वीं आम प्रदर्शनी का सितारा बन गया।

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इस विशेष आम की शुरुआत भी खास रही और इसकी पहचान भी बेहद अनोखी। आमतौर पर आमों को उनके स्वाद, रंग और खुशबू से जाना जाता है, लेकिन इस “**सिंदूर आम**” को एक मिशन की स्मृति में नाम दिया गया, जिसे **”ऑपरेशन सिंदूर”** कहा गया था।

### ऑपरेशन सिंदूर और उसकी पृष्ठभूमि

कुछ समय पहले भागलपुर के सबौर स्थित एक बागान में ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया था। यह ऑपरेशन बागानों को अतिक्रमण, तस्करी और अव्यवस्था से मुक्त करने के उद्देश्य से चलाया गया था। इसमें स्थानीय प्रशासन, पुलिस और कृषि विभाग ने मिलकर कार्य किया। इस ऑपरेशन के सफल होने के बाद बागान को न सिर्फ संरक्षित किया गया, बल्कि वहां लगे आम के पेड़ भी बचा लिए गए।

इसी बागान में उग रहे एक खास किस्म के आम को प्रतीक के रूप में “सिंदूर” नाम दिया गया। इस आम की पहचान न केवल उसकी लालिमा और चमकदार रंगत से जुड़ी है, बल्कि इसकी उत्पत्ति की कहानी इसे और भी खास बनाती है।

### आम प्रदर्शनी में सिंदूर आम की धमक

बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में आयोजित 11वीं आम प्रदर्शनी में इस बार “सिंदूर” आम भी प्रदर्शित किया गया। जैसे ही यह आम प्रदर्शन में लोगों के सामने आया, सभी की नजरें उस पर ठहर गईं। खासतौर पर तब, जब मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति **डॉ. संजय कुमार** और बीएयू के कुलपति **डॉ. डी. आर. सिंह** ने आम का मुआयना किया।

दोनों कुलपति जब सिंदूर आम के पास पहुंचे तो कुछ पल के लिए ठिठक गए। आम का रंग, उसकी आभा और उससे जुड़ी कहानी ने उन्हें आकर्षित किया। वहीं मौके पर मौजूद “मैंगो मैन” के नाम से मशहूर **अशोक चौधरी** ने भी इस आम की पूरी पृष्ठभूमि विस्तार से बताई।

### मैंगोमैन अशोक चौधरी की अहम भूमिका

भागलपुर और आसपास के क्षेत्रों में आम की खेती को नई दिशा देने वाले अशोक चौधरी ने बताया,

> “ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब बागान को सुरक्षित किया गया, तब उस बाग में लगे इस खास आम के पेड़ को हमने ‘सिंदूर’ नाम दिया। अब जब इस आम को पहली बार प्रदर्शनी में लाया गया, तो इसे **प्रथम पुरस्कार** से सम्मानित किया गया है।”

चौधरी का यह भी कहना है कि सिंदूर आम न केवल स्वाद में बेहतर है, बल्कि इसकी रंगत और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतरीन है। यह आम आने वाले समय में किसानों के लिए एक नया विकल्प बन सकता है।

### अब सिंदूर आम पर होगा वैज्ञानिक शोध

बीएयू के कुलपति **डॉ. डी. आर. सिंह** ने बताया कि सिंदूर आम के पीछे जो भावनात्मक और सामाजिक कहानी है, वह तो खास है ही, लेकिन अब इस आम की वैज्ञानिक दृष्टि से भी जांच की जाएगी।

> “हमने इसे **कृषि वैज्ञानिकों की टीम** को सौंपा है। लैब में इसकी **बायो-कैमिकल कंटेंट, पोषक तत्वों, पैदावार क्षमता और भंडारण जीवनकाल** पर विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। यदि ये परीक्षण सकारात्मक आए, तो इसे बिहार और पूर्वी भारत के किसानों के लिए व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा।”

### सिंदूर आम: एक प्रतीक

आज के समय में जब फल केवल स्वाद और व्यापार तक सीमित रह जाते हैं, सिंदूर आम एक ऐसी मिसाल बनकर सामने आया है जो बताता है कि प्रकृति, परंपरा और प्रशासनिक जिम्मेदारी मिलकर कैसे एक साधारण पेड़ को असाधारण बना सकती है।

यह आम अब केवल एक फल नहीं, बल्कि **भागलपुर की पहचान**, **बिहार की नई खोज** और **किसानों के लिए उम्मीद** का प्रतीक बन चुका है।

### भविष्य की योजना

अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय की योजना है कि सिंदूर आम की खेती को **प्रायोगिक तौर पर विभिन्न जिलों** में किया जाए। इसके लिए चयनित किसानों को पौधे, प्रशिक्षण और तकनीकी मदद दी जाएगी।

इसके अलावा विश्वविद्यालय इसे **भौगोलिक संकेत (GI टैग)** के लिए भी आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है, ताकि इस आम को वैश्विक पहचान मिल सके।



**निष्कर्ष:**
भागलपुर का “सिंदूर आम” एक मिसाल है कि किस तरह सामाजिक घटनाएं भी प्रकृति के साथ जुड़कर एक नई प्रेरणा बन सकती हैं। ऑपरेशन सिंदूर की स्मृति में जन्मा यह आम अब वैज्ञानिक, भावनात्मक और आर्थिक—तीनों पहलुओं में उल्लेखनीय बन गया है। यह न केवल किसानों के लिए एक नया अवसर हो सकता है, बल्कि बिहार को आम की दुनिया में एक नया मुकाम भी दिला सकता है।

 

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