हत्याराहत्यारा

 

बगहा (बिहार):
बिहार के बगहा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 27 साल पहले हुई एक हत्या की सूचना पुलिस को देने वाला व्यक्ति ही असली हत्यारा निकला। बगहा व्यवहार न्यायालय ने इस मामले में आरोपी विपिन कुमार सिंह को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा सुनाई है। यह मामला 1998 में हुए एक हत्याकांड से जुड़ा है, जिसमें शुरू से ही कहानी में कई पेंच थे, लेकिन वर्षों की कड़ी जांच-पड़ताल के बाद आखिरकार सच्चाई सामने आ ही गई।

उम्रकैद
उम्रकैद

चोर की दाढ़ी में तिनका!

इस पूरे मामले को अगर किसी मुहावरे के जरिए समझाया जाए तो वह है – “चोर की दाढ़ी में तिनका।” यानी जिसने अपराध किया होता है, वही सबसे पहले डरता है पकड़े जाने से और अक्सर खुद को बचाने के लिए ऐसी चालें चलता है, जिससे वह संदेह से दूर रहे। विपिन कुमार सिंह ने भी ठीक यही किया। हत्या की झूठी सूचना देकर उसने खुद को एक गवाह के तौर पर पेश किया, लेकिन पुलिस की सूझबूझ और वर्षों की मेहनत ने उसके झूठे पर्दे को चीर कर सच सामने ला दिया


क्या था मामला?

यह मामला 1998 में बगहा छितौनी सड़क निर्माण के दौरान का है। निर्माण स्थल पर मुंशी टीपू पांडेय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की जानकारी पुलिस को विपिन कुमार सिंह ने ही दी थी। उसने यह भी दावा किया था कि अपराधियों ने अचानक आकर गोली मारी और वह खुद मौके पर मौजूद था। उसने यह तक कहा था कि उसने एक अपराधी पर गोली भी चलाई, लेकिन निशाना चूक गया।


पुलिस को क्यों हुआ शक?

इस बयान के आधार पर पुलिस ने अज्ञात अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और जांच शुरू की। लेकिन जब जांच अधिकारी (आईओ) राजीव रंजन ने तीन वर्षों तक इस हत्याकांड की गहन जांच की, तो सामने आया कि घटनास्थल पर किसी बाहरी अपराधी के आने के कोई संकेत नहीं मिले। ऐसे में शक की सुई खुद विपिन पर टिक गई।

जांच में सामने आया कि विपिन ने जो कहानी सुनाई थी, वह पूरी तरह से मनगढ़ंत और विरोधाभासी थी। उसने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कहानी में ठेकेदार गुड्डू गुप्ता का नाम जोड़ा, जो घटनास्थल पर साथ होने का दावा कर रहा था। लेकिन जब दोनों से गहन पूछताछ की गई, तो उनके बयानों में काफी विरोधाभास मिला।


बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीलें

बचाव पक्ष के वकील बृजेश भारती ने दलील दी कि

“कोई व्यक्ति जो खुद पुलिस को सूचना देता है, वह हत्यारा कैसे हो सकता है? वह तो खुद जांच में मदद कर रहा था।”

वहीं अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता मनु राव ने मजबूत तर्क रखे। उन्होंने अदालत में कहा कि

“सूचक और ठेकेदार दोनों की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने मुंशी टीपू पांडेय को योजनाबद्ध तरीके से घर से बुलाया और कार्य स्थल पर उसकी हत्या कर दी। यह पूरी तरह से एक साजिश थी।”


कोर्ट का फैसला

13 जून 2025 को हुई अंतिम सुनवाई में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश (चतुर्थ) मानवेंद्र मिश्रा ने दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्यों के आधार पर विपिन कुमार सिंह को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने माना कि हत्या की सूचना देने वाला खुद हत्यारा था, जिसने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पूरी झूठी कहानी गढ़ी और पुलिस को गुमराह किया।

हत्यारा
हत्यारा

अब क्या?

अभियोजन अधिकारी मनु राव ने बताया कि

“यह मामला कानून और न्याय की दृढ़ता को दर्शाता है। अदालत ने यह साबित कर दिया कि अपराध कितना भी पुराना हो, सच्चाई सामने आकर रहती है। आरोपी को अब न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।”


न्याय का इंतजार आखिरकार खत्म

यह मामला इस बात का भी उदाहरण है कि न्याय में देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं। 27 वर्षों तक चले इस मुकदमे ने यह साबित कर दिया कि अगर जांच ईमानदारी से हो, तो अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता


निष्कर्ष:

यह मामला न केवल कानूनी व्यवस्था की सफलता है, बल्कि समाज को एक संदेश भी देता है कि कोई भी अपराध ज्यादा समय तक छिपाया नहीं जा सकता। और जो लोग अपने अपराध को छुपाने के लिए झूठी कहानियां बनाते हैं, वे अंततः सच की तलवार से कट ही जाते हैं

 

अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

भागलपुर में आत्मा योजना की समीक्षा बैठक सम्पन्न, उप विकास आयुक्त ने योजनाओं के क्रियान्वयन में गति लाने के दिए निर्देश

सहरसा में बड़ी साजिश नाकाम: कार्बाइन और कारतूस के साथ युवक गिरफ्तार, पुलिस की सतर्कता से टली बड़ी वारदात

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *