भागलपुर जिले के सन्हौला प्रखंड के कई पंचायत में आंगनबाड़ी केंद्र में हो रहे भारी लापरवाही देखने वाला कोई नहीं एक तरफ जहाॅ सरकार के द्वारा गर्भवती महिलाओं व बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रो पर विभिन्न प्रकार की योजनाएं एवं तरह-तरह के पोषाहार वितरण के लिए भेजे जाते हैं।
वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की अनदेखी व आंगनबाड़ी कर्मचारियो की मनमानी के चलते प्रखंड में पोषाहार वितरण में काफी अनियमितता बरती जा रही है कई बार ग्रामीणों के विरोध के बावजूद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती है ताजा मामला बिहार के भागलपुर जिले के सन्हौला प्रखंड का है
सीडीपीओ और सुपरवाइजर के लापरवाही देखने को मिली है जब उप प्रमुख महोदिया निशा देवी के द्वारा संज्ञान लिया गया
तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया जांच करने निकले महोदिया के साथ कई पंचायत समिति सदस्य ने पांच आंगनबाड़ी केंद्र का जायजा लिया और देखा कई सेंटर वैसे निकले जहां एक भी बच्चा मौजूद नहीं था कहीं ताला लटका हुआ था, तो कहीं बच्चों की उपस्थिति नहीं थी तो कही सेविका,सहायिका बहाना बनाते नजर आई अधिकारी का तो कहीं अता-पता भी नहीं था उप प्रमुख महोदिया ने बताया कि पोठिया पंचायत और अमडीहा पंचायत के पांच केंद्र संख्या 15, 20, 146, 22, 173 पर जांच की गई है। जिसमें पाया गया कि केंद्र संख्या 15 पर एक भी बच्चा मौजूद नहीं था,
केंद्र संख्या 20 पर कुल 30 बच्चे का हाजिरी बनाकर 17 बच्चे की ही उपस्थिती थी। केंद्र संख्या 146 पर मात्र 18 बच्चे ही मौजूद थे, केंद्र संख्या 22 पर ताला लटका हुआ मिला, केंद्र संख्या 173 पर एक भी बच्चा उपस्थित नहीं था टीकाकरण का कार्य सेविका के घर पर चल रहा था जब रजिस्टर की मांग की गई तो मौका पाकर फरार हो गई मौजूद लोगों ने बताया कि यहां कभी भी बच्चे को खाना और टी.एच,आर वितरण नहीं किया जाता है हद तो तब हो गई जब केन्द्र 20 की सेविका सुधा भारती के द्वारा संचालित केंद्र पर ही एक महिला को सुई लगाते नजर आई
महोदिया ने आगे बताया कि यह यह घोर निंदनीय है बच्चों और गर्भवती महिलाओं के साथ इस तरह होता रहेगा तो हम कभी चुप नहीं बैठेंगे यह सब अधिकारियों की मिली भगत से केंद्र को बंद रखकर सारा पैसा हजम कर जाती है अगर सही से जांच हो तो कई नाम चीन चेहरे उजागर हो जाएंगे हम जांच रिपोर्ट जिला पदाधिकारी भागलपुर को सौपेगे, कार्रवाई सुनिश्चित होगी
ग्रामीणों ने दबी जुवान से बताया कि अधिकतर सेंटर अपने घर में संचालित होने से हम लोग कुछ बोलने के लिए विवश हैं सूत्र बताते हैं कि सीडीपीओ और सुपरवाइजर की मिली भगत से हर महीना 3000 से 5000 रुपये की अवैध उगाही की जाती है।
तब जाकर भोचर पास होता है अब देखना दिलचस्प होगा कि जिले के आला अधिकारी इस पर क्या संज्ञान लेते हैं या गोल मटोल कर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है पूर्व में भी सन्हौला प्रमुख के द्वारा सीडीपीओ और सुपरवाइजर पर केंद्र से पैसा लेने का आरोप लगाया गया था जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर चला था
खबर लिखे जाने तक सीडीपीओ सन्हौला से संपर्क साधा गया लेकिन मोबाइल नंबर बंद पाया गया है