बिहार सरकार द्वारा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को सशक्त बनाने के लिए एक सराहनीय पहल की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत अब राज्य भर के अस्पतालों में प्रसव के बाद महिलाओं को ‘जच्चा-बच्चा किट’ प्रदान किया जा रहा है। इस किट का उद्देश्य नवजात शिशु और उनकी माताओं को जन्म के बाद के शुरुआती दिनों में आवश्यक देखभाल और पोषण सुनिश्चित करना है।
सोमवार को इसी योजना के तहत भागलपुर सदर अस्पताल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां कई नवप्रसूताओं को यह किट प्रदान की गई। कार्यक्रम की अगुवाई अस्पताल प्रभारी डॉ. राजू कुमार और अस्पताल प्रबंधक आशुतोष कुमार ने की। उन्होंने स्वयं महिलाओं को किट सौंपा और इसके इस्तेमाल, लाभ और महत्व की जानकारी विस्तार से दी।

इस अवसर पर डॉ. राजू कुमार ने बताया कि यह योजना बिहार सरकार की ओर से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, “सरकार चाहती है कि राज्य की हर मां और नवजात को जन्म के बाद उचित पोषण, दवा और स्वच्छता से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। इस किट के माध्यम से हम उन सभी जरूरतों को एक साथ पूरा कर रहे हैं जो प्रसव के बाद महिला और बच्चे के लिए बेहद जरूरी होती हैं।”
क्या होता है जच्चा-बच्चा किट में?
इस किट में कई उपयोगी वस्तुएं शामिल की गई हैं, जैसे कि आयरन और कैल्शियम की गोलियां, मल्टीविटामिन, सेनेटरी नैपकिन, साबुन, तौलिया, न्यूट्रिशन पाउडर, बेबी ऑयल, बेबी पाउडर, थर्मामीटर और बच्चों के लिए सूती कपड़े। साथ ही इसमें शिशु की त्वचा की देखभाल के लिए सुरक्षित और प्रमाणित सामग्री भी शामिल की गई है। यह किट पूरी तरह से मुफ्त में अस्पताल में ही प्रदान की जा रही है।
ग्रामीण महिलाओं के लिए फायदेमंद
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ उन महिलाओं को मिलेगा जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आती हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों की महिलाएं जिन्हें प्रसव के बाद जरूरी चीजें खरीदने में दिक्कत होती है। इस योजना के माध्यम से न केवल उन्हें जरूरी सामग्री दी जा रही है, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा उन्हें इसका सही उपयोग करने की जानकारी भी दी जा रही है।
कार्यक्रम के दौरान लाभान्वित हुई महिला मुस्कान देवी, जो कि सुल्तानगंज प्रखंड की निवासी हैं, ने सरकार की इस पहल की तारीफ करते हुए कहा, “पहले हमें अस्पताल से छुट्टी के बाद बहुत सारी चीजें खुद से खरीदनी पड़ती थीं। लेकिन अब सरकार द्वारा यह किट मिलने से बहुत राहत मिली है। खासकर गांव की महिलाएं जिन्हें बाजार तक पहुंचना भी मुश्किल होता है, उनके लिए यह बहुत ही लाभकारी है।”
सरकार की सोच – मातृत्व को सम्मान और सुविधा
सरकार का उद्देश्य है कि हर मां को सुरक्षित मातृत्व का अनुभव मिले और हर नवजात को स्वस्थ जीवन की शुरुआत मिले। इस योजना को चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर सभी जिला अस्पतालों, उपस्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में यह किट उपलब्ध कराई जा रही है।
अस्पताल प्रबंधक आशुतोष कुमार ने बताया, “यह केवल एक किट नहीं, बल्कि एक संदेश है – मातृत्व का सम्मान करें, नवजात की देखभाल को प्राथमिकता दें। हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि अस्पताल में प्रसव के बाद हर महिला तक यह किट पहुंचे और उसका उचित उपयोग हो।”
स्थानीय प्रशासन की भागीदारी
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय प्रशासन, अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की सामूहिक भागीदारी देखने को मिली। कार्यक्रम के दौरान अस्पताल में उपस्थित नर्सों और सहायकों ने भी महिलाओं को किट में मौजूद वस्तुओं की जानकारी दी और उनसे जुड़े प्रयोग के तरीके समझाए।
निष्कर्ष
बिहार सरकार की यह पहल न केवल महिलाओं के लिए सुविधाजनक है, बल्कि यह एक स्वस्थ समाज की नींव रखने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम भी है। अगर इस योजना को ठीक तरीके से लागू किया गया, तो यह मातृ-मृत्यु और शिशु-मृत्यु दर को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। भागलपुर सदर अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम इस बात का उदाहरण है कि सरकारी योजनाएं जब ज़मीन पर सही ढंग से उतरती हैं, तो उसका प्रभाव सीधा लोगों के जीवन पर पड़ता है।
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