बिहार में एक बार फिर कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है। राजधानी पटना समेत अन्य जिलों में संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी ने एक बार फिर स्वास्थ्य तंत्र को सतर्क कर दिया है। स्थिति को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार अलर्ट मोड में आ गई है। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी जिला अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी करते हुए कोविड प्रबंधन व्यवस्था को दुरुस्त रखने के निर्देश दिए हैं।
इसी कड़ी में पूर्वी बिहार के सबसे बड़े और प्रमुख अस्पताल, भागलपुर के मायागंज अस्पताल में शुक्रवार को एक विशेष मॉकड्रिल आयोजित किया गया। इस मॉकड्रिल का उद्देश्य कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनज़र आपात स्थिति में अस्पताल की तैयारियों की जांच और मूल्यांकन करना था।

अस्पताल परिसर में आयोजित इस मॉकड्रिल की निगरानी डॉक्टरों की 10 सदस्यीय विशेष टीम द्वारा की गई। कार्यक्रम की अगुवाई मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अभिलेश कुमार ने की। उन्होंने बताया कि यह मॉकड्रिल एक अभ्यास मात्र नहीं है, बल्कि इससे यह परखा गया कि यदि कोरोना की स्थिति गंभीर होती है तो अस्पताल में मरीजों को तत्काल और समुचित चिकित्सा सहायता कैसे उपलब्ध कराई जा सकती है।
डॉ. अभिलेश कुमार ने मीडिया को बताया कि मॉकड्रिल के दौरान कोविड मरीज के इमरजेंसी में आने से लेकर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किए जाने तक की पूरी प्रक्रिया को सजीव रूप में दर्शाया गया। इसमें ऑक्सीजन सपोर्ट, दवा प्रबंधन, मेडिकल स्टाफ की तत्परता, और मरीज के संपर्क में आने वाले अन्य लोगों को ट्रेस कर क्वारंटाइन करने जैसी कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं शामिल थीं।
मायागंज अस्पताल में विशेष कोविड वार्ड की स्थापना पहले ही कर दी गई है। इस वार्ड में 20 बेड की व्यवस्था की गई है, जहां कोरोना संक्रमित मरीजों को अलग से रखा जाएगा। इसके साथ ही अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट भी पूरी तरह से सक्रिय कर दिया गया है, जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति में किसी भी प्रकार की बाधा न आए।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिछली लहरों से मिले अनुभवों के आधार पर इस बार की तैयारी कहीं अधिक सुदृढ़ और व्यवस्थित है। चाहे वह ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था हो, वेंटिलेटर की उपलब्धता हो, या फिर दवाओं का पर्याप्त स्टॉक – हर स्तर पर चौकसी बरती जा रही है।
डॉ. अभिलेश ने यह भी जानकारी दी कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमित तौर पर समीक्षा बैठकें की जा रही हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के अस्पताल अधीक्षकों और मॉडल पदाधिकारियों से रिपोर्ट ली जा रही है। भागलपुर सहित अन्य जिलों में कोरोना से निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों की समीक्षा और आपूर्ति लगातार की जा रही है।
मायागंज अस्पताल में स्वच्छता और सैनिटाइजेशन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। आइसोलेशन बेडों की संख्या बढ़ाई गई है और संक्रमितों के इलाज के लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की अलग टीम बनाई गई है। इसके अलावा अस्पताल परिसर में प्रवेश करने वालों की थर्मल स्क्रीनिंग और हैंड सैनिटाइजेशन की अनिवार्यता को फिर से लागू किया गया है।
अस्पताल में तैनात नोडल पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी स्थिति में कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन न हो। मास्क, पीपीई किट, दवाएं, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर सहित सभी जरूरी चिकित्सा उपकरणों का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया गया है।
राज्य सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, जनजागरूकता बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन ने आम लोगों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस होने पर तुरंत जांच करवाएं और खुद को आइसोलेट करें। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और हाथ धोने जैसी बुनियादी सावधानियों को फिर से अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
डॉ. अभिलेश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सरकार के साथ-साथ आम जनता की भागीदारी भी बेहद जरूरी है। जब तक हम सभी सतर्क और जिम्मेदार नहीं होंगे, तब तक किसी भी चिकित्सा व्यवस्था की सफलता अधूरी रह जाएगी।
**निष्कर्षतः**, मायागंज अस्पताल की यह मॉकड्रिल न केवल अस्पताल की तैयारियों का परीक्षण थी, बल्कि यह संकेत भी था कि स्वास्थ्य विभाग अब किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। यदि राज्य में कोरोना की तीसरी लहर आती है, तो भागलपुर का यह प्रमुख अस्पताल उससे निपटने के लिए हर मोर्चे पर मजबूत खड़ा है।
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