राज्य में स्कूली बच्चे पानी का हिसाब रखना सीखेंगे। सरकारी व निजी स्कूल के बच्चों को राष्ट्रीय अविष्कार सप्ताह के तहत जल के बचाव को लेकर विशेष अभियान से जोड़ा गया है। इस अभियान में मिडिल से लेकर हाईस्कूल और प्लस 2 स्कूल तक के बच्चे शामिल होंगे। राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इस संबंध में स्कूलों को गाइडलाइन जारी की है।
परिषद के निदेशक श्रीकांत शास्त्री की ओर से स्कूलों को भेजे गए निर्देश के अनुसार छठी से आठवीं तक के बच्चों को घरेलू काम में उपयोग किए जाने वाले पानी का हिसाब रखना है। इसके लिए प्रति व्यक्ति दांत साफ करने, नहाने, पीने के पानी, शौचालय के लिए हर दिन उपयोग किए गए पानी की मात्रा लीटर में लिखनी है। इसके साथ ही परिवार में कपड़ा धोने, बर्तन धोने, सब्जियों की धुलाई, भोजन पकाने की प्रक्रिया, फर्श की सफाई और वाहनों की धुलाई का भी लीटर में पानी का हिसाब लगाना है। इसमें परिवार के कुल सदस्यों की संख्या के साथ दिए गए फॉर्मेट के सूत्र से प्रति दिन की खपत का हिसाब निकालना है।
बचत की बनाएंगे योजना
इसके साथ ही छात्रों को कार्य योजना बनानी है कि किस प्रकार परिवार पानी के उपयोग की मात्रा कम कर सकता है। इसे तालिका के रूप में बनाकर सदस्यों के साथ साझा करना है। इसी तरह बागवानी के लिए पानी का हिसाब का फॉर्मेट बनाया गया है और गतिविधियां भी दी गई हैं। 9वीं और 10वीं कक्षा के बच्चों के लिए फसलों की सिंचाई में उपयोग होने वाले पानी का हिसाब रखने का टास्क मिला है। इन सबके लिए अलग-अलग फॉर्मेट दिया गया है जिसे गतिविधियों के बाद भरना है। स्कूल बेहतर रिपोर्ट तैयार करने वाले छात्र-छात्राओं के नाम को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करेंगे।
ऐसे होगा काम
● घरेलू काम से लेकर बागवानी में उपयोग होने वाले जल की जानकारी रखेंगे
● राष्ट्रीय अविष्कार सप्ताह के तहत राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद का निर्देश
● मिडल से लेकर हाईस्कूल और प्लस 2 स्कूलों में चलेगा विशेष अभियान
● हर कक्षा के लिए जल का लेखा-जोखा रखने को मिला अलग-अलग जिम्मा
● स्कूल बेहतर करने वाले बच्चों के नाम विभाग की वेबसाइट पर करेंगे अपलोड