अधिकारी

बिहार से एक अजीबोगरीब और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस व्यवस्था और सुरक्षा तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला बिहार के बोधगया में तैनात विशेष बिहार सशस्त्र बल (BSAP) के कमांडेंट और IPS अधिकारी दीपक रंजन से जुड़ा है, जो हाल ही में एक अनपेक्षित स्थिति का शिकार हो गए। घटना ने सोशल मीडिया और खबरों में खासा ध्यान खींचा है।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आईपीएस अधिकारी दीपक रंजन पटना से बोधगया लौट रहे थे। रास्ते में जहानाबाद जिले के टेहटा इलाके में एक पेट्रोल पंप पर उन्होंने गाड़ी रुकवाई ताकि वह फ्रेश हो सकें। अधिकारी के साथ उनके निजी ड्राइवर और दो बॉडीगार्ड्स भी मौजूद थे। जैसे ही दीपक रंजन वॉशरूम के लिए गए, ड्राइवर और दोनों बॉडीगार्ड भी गाड़ी से नीचे उतर गए। लेकिन कुछ ही मिनटों बाद एक चौंकाने वाला वाकया हुआ।

दरअसल, जब अधिकारी वॉशरूम से लौटे, तो उन्हें देखकर हैरानी हुई कि उनकी सरकारी गाड़ी मौके से गायब थी। गाड़ी में उनका मोबाइल फोन और अन्य जरूरी सामान भी मौजूद था। बिना किसी संचार के साधन के, अधिकारी को समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ। पहले उन्हें यह शक हुआ कि कहीं गाड़ी चोरी तो नहीं हो गई, लेकिन बाद में मामला कुछ और ही निकला।

क्या था ड्राइवर और बॉडीगार्ड का कहना?

जांच के बाद यह जानकारी सामने आई कि ड्राइवर और बॉडीगार्ड यह मान बैठे थे कि साहब (दीपक रंजन) गाड़ी में बैठ चुके हैं। इसी गलतफहमी के चलते वे बिना देखे गाड़ी लेकर निकल पड़े। जब उन्हें एहसास हुआ कि साहब गाड़ी में नहीं हैं, तब तक वे काफी दूर निकल चुके थे।

इस बीच, दीपक रंजन बिना मोबाइल के, स्थानीय लोगों से पूछताछ करते हुए लगभग डेढ़ किलोमीटर तक पैदल चले और एक नजदीकी पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां से उन्होंने किसी तरह अपने बॉडीगार्ड और ड्राइवर से संपर्क किया और उन्हें फौरन वापस बुलाया गया।

कार्रवाई क्या हुई?

इस घटना को बेहद गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों ने तत्काल प्रभाव से दोनों बॉडीगार्ड और ड्राइवर को निलंबित कर दिया है। इस लापरवाही को सुरक्षा में बड़ी चूक माना गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना हरकत को बिहार पुलिस के उच्च अधिकारियों ने अनुशासनहीनता माना है।

दीपक रंजन कौन हैं?

आईपीएस दीपक रंजन बिहार सशस्त्र सीमा बल की 3वीं और 17वीं बटालियन के कमांडेंट हैं। वर्तमान में वे बोधगया में पोस्टेड हैं और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके साथ हुई इस घटना ने यह दिखाया कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को भी कभी-कभी ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जो आम लोगों के साथ अक्सर होती रहती है।

सोशल मीडिया पर छाया मामला

जैसे ही यह खबर मीडिया में आई, सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल हो गया। कई यूजर्स ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि “साहब को भी आम जनता की तरह पैदल चलना पड़ा।” वहीं कुछ ने इसे ड्राइवर और सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बताया।

प्रशासनिक संदेश

यह घटना केवल एक मजाकिया वाकया नहीं, बल्कि एक गंभीर प्रशासनिक संकेत भी है कि कैसे सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करने पर कोई भी अनहोनी हो सकती है। इस मामले ने अधिकारियों और सुरक्षा बलों को एक बार फिर से अलर्ट कर दिया है कि लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए, खासकर जब बात आईपीएस जैसे उच्च अधिकारी की सुरक्षा की हो।

निष्कर्ष

बिहार में घटित यह घटना एक ओर जहां प्रशासनिक लापरवाही की बानगी प्रस्तुत करती है, वहीं यह यह भी बताती है कि कभी-कभी गलतफहमी भी बड़ी मुश्किल पैदा कर सकती है। फिलहाल ड्राइवर और बॉडीगार्ड के निलंबन के बाद विभागीय जांच शुरू हो चुकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे इस मामले में और क्या कार्रवाई होती है।

बहरहाल, यह घटना लोगों की जुबान पर चढ़ चुकी है और शायद ही कोई इस वाकये को जल्दी भुला पाए।

 

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