बिहार के भागलपुर जिले में गंगा किनारे बसे ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले नगर सुल्तानगंज को लेकर इन दिनों एक बार फिर से मांग तेज हो गई है—नाम बदलने की मांग। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां सावन महीने में कांवर लेकर पहुंचते हैं, उत्तरवाहिनी गंगा में डुबकी लगाते हैं और यहां के अजगैबीनाथ महादेव को जल अर्पित कर देवघर के बैद्यनाथ धाम तक पदयात्रा करते हैं। लेकिन इस बार भावनाओं का मंथन कुछ अलग है। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं की आवाज एक बार फिर बुलंद हो गई है—“यह सुल्तानगंज नहीं, *बाबा अजगैबीनाथ की नगरी* है, इसका नाम ‘**अजगैबीनाथ धाम**’ होना चाहिए।”

### धार्मिक पहचान की बहाली की मांग
इस धार्मिक नगरी की पहचान बाबा अजगैबीनाथ के प्राचीन मंदिर और उत्तरवाहिनी गंगा से जुड़ी हुई है, न कि किसी सुल्तान से। स्थानीय जनमानस वर्षों से यह मांग करता आ रहा है कि शहर को उसकी मूल धार्मिक पहचान दी जाए। इसे केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक बड़ी पहल माना जा रहा है।
नगर परिषद सुल्तानगंज ने इस मांग को 19 जून 2024 को और बल दिया, जब परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि नगर का नाम “अजगैबीनाथ धाम” कर दिया जाए। अब यह प्रस्ताव केंद्र और राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
### ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
स्थानीय इतिहासकारों और मान्यताओं के अनुसार, इस नगर का प्राचीन नाम ‘**हिरण्यपुरी**’ और बाद में ‘**अजगैबीनाथ धाम**’ रहा है। मुगल शासन के दौरान जब इस इलाके में सुल्तानी सत्ता का प्रभाव बढ़ा, तब धार्मिक प्रतीकों और नामों को बदलने की कोशिश की गई, और तभी इसे ‘**सुल्तानगंज**’ कहा जाने लगा। परंतु यह नाम धार्मिक चेतना से मेल नहीं खाता, और ना ही यहां की मूल सांस्कृतिक आत्मा को दर्शाता है।
### श्रावणी मेला और भावनात्मक जुड़ाव
हर साल सावन में आयोजित श्रावणी मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज पहुंचते हैं। उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर कांवड़ यात्रा पर निकलने वाले श्रद्धालु, यहां के बाबा अजगैबीनाथ को प्रथम पूजा अर्पित करते हैं। यहां से जल उठाकर वे लगभग 105 किलोमीटर की यात्रा कर देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम तक पहुंचते हैं।
श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों का मानना है कि जिस नगरी से इतनी भक्ति और परंपरा जुड़ी हो, उसका नाम एक सुल्तान के नाम पर नहीं बल्कि *बाबा भोलेनाथ* के नाम पर ही होना चाहिए।
### राजनीतिक समर्थन भी मजबूत
इस मांग को अब राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है। बिहार के उपमुख्यमंत्री **सम्राट चौधरी** ने कई मंचों से इस बात का आश्वासन दिया है कि सुल्तानगंज का नाम जल्द ही बदलकर “**अजगैबीनाथ धाम**” रखा जाएगा। उन्होंने कहा:
> “सुल्तानगंज रेलवे स्टेशन का नाम जल्द ही हिंदू तीर्थस्थल अजगैबीनाथ धाम के नाम पर रखा जाएगा। स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया सक्षम प्राधिकरण के पास भेजी जाएगी।”
साथ ही उपमुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया था कि जो ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट प्रस्तावित है, उसका नाम भी “अजगैबीनाथ धाम एयरपोर्ट” रखा जाएगा।
### रेलवे स्टेशन नाम परिवर्तन की ओर कदम
रेलवे मंत्रालय भी अब इस दिशा में सक्रिय हुआ है। नगर परिषद सुल्तानगंज के सभापति **राजकुमार गुड्डू** ने हाल ही में रेल मंत्री **अश्विनी वैष्णव** से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्टेशन का नाम बदलकर “**अजगैबीनाथ धाम**” करने की मांग की गई। इस पर रेल मंत्री ने सकारात्मक पहल का आश्वासन दिया है।
> “नगर विकास मंत्री और रेल मंत्री दोनों ने आश्वासन दिया है कि अमृत भारत योजना का कार्य पूर्ण होते ही सुल्तानगंज स्टेशन का नाम बदल दिया जाएगा।” – राजकुमार गुड्डू, सभापति
### धर्मगुरु भी साथ में
धार्मिक नेतृत्व भी इस मांग में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। *अजगैबीनाथ मठ* और *पंच दशनाम जूना अखाड़ा* के महंत **प्रेमानंद गिरी महाराज** ने स्पष्ट कहा:
> “यह समय की मांग है। यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं, हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है। प्रशासन को इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। इस बार श्रावणी मेले के उद्घाटन समारोह में इस नाम परिवर्तन की घोषणा होनी चाहिए।”
### नाम परिवर्तन क्यों जरूरी?
नाम बदलने की मांग केवल धार्मिक भावना से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह उस सांस्कृतिक इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास है जिसे अतीत में दबा दिया गया था। यह पहचान का प्रश्न है, और यह प्रश्न अब सिर्फ सुल्तानगंज तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पूरे बिहार और देश के हिंदू जनमानस से जुड़ गया है।
स्थानीय बुद्धिजीवी कहते हैं कि जब उज्जैन का नाम महाकाल लोक, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज, और मुगलसराय का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन हो सकता है, तो बाबा की नगरी का नाम ‘**अजगैबीनाथ धाम**’ क्यों नहीं?
### उम्मीद की किरण
अब लोगों की निगाहें सावन के दौरान होने वाले उद्घाटन समारोह पर टिकी हैं। उन्हें विश्वास है कि इस बार मंच से सुल्तानगंज के नाम परिवर्तन की औपचारिक घोषणा होगी और बाबा अजगैबीनाथ की नगरी को उसका वास्तविक नाम और सम्मान मिलेगा।
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**निष्कर्ष:**
सुल्तानगंज का नाम बदलकर “अजगैबीनाथ धाम” करने की यह मांग अब सिर्फ जनभावना नहीं रही, यह अब धार्मिक और सांस्कृतिक न्याय का मामला बन चुकी है। यह मांग अब केवल एक नगर परिषद की फाइलों तक सीमित नहीं, बल्कि हर कांवरिए, हर श्रद्धालु और हर उस व्यक्ति की आवाज बन चुकी है जो बाबा भोलेनाथ से जुड़ा हुआ है।
**अब सवाल यह नहीं है कि नाम बदला जाएगा या नहीं, सवाल यह है कि *कब* बदला जाएगा।**
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