बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। दरौली से सीपीआई-माले के वर्तमान विधायक सत्यदेव राम को सोमवार को नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस अप्रत्याशित कार्रवाई से समाहरणालय परिसर में अफरा-तफरी मच गई और मौके पर मौजूद समर्थकों ने जमकर सरकार विरोधी नारेबाजी की।

जानकारी के अनुसार, सत्यदेव राम दरौली विधानसभा सीट से एक बार फिर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। वह वर्तमान विधायक हैं और सीपीआई-माले के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं। हालांकि महागठबंधन में अभी सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, फिर भी सीपीआई-माले ने अपने 18 प्रत्याशियों की सूची पहले ही जारी कर दी थी, जिसमें सत्यदेव राम का नाम शामिल है।

नामांकन दाखिल करने के बाद जैसे ही विधायक बाहर निकले, पुलिस ने उन्हें रोक लिया और गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद समर्थक उग्र हो गए और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे। स्थिति को संभालने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

क्यों हुई गिरफ्तारी?
दरअसल, विधायक सत्यदेव राम पर दरौंदा रेल रोको आंदोलन (2005) के दौरान रेलवे ट्रैक जाम करने का आरोप है। उस समय इस मामले में रेलवे थाना कांड संख्या 36/2005 दर्ज की गई थी। लंबे समय तक अदालत में हाजिरी नहीं देने के कारण सोनपुर रेलवे कोर्ट के एसीजेएम द्वारा उनके खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया गया था। इसी वारंट के आधार पर नगर थाना पुलिस ने समाहरणालय परिसर से उन्हें हिरासत में लिया।

सत्यदेव राम का बयान:
गिरफ्तारी से पहले मीडिया से बात करते हुए विधायक ने कहा,

> “मैं नामांकन करने आया था, नामांकन ठीक से हो गया। इसके बाद अचानक पुलिस ने कहा कि आपको जेल जाना होगा। मुझे कोई जानकारी नहीं थी। अगर केस था तो पहले बताया जाना चाहिए था ताकि मैं बेल करा लेता।”

उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई जानबूझकर और राजनीतिक दबाव में की गई है। उन्होंने कहा कि वे पहले भी जेल से चुनाव लड़ चुके हैं और इस बार भी लड़ेंगे।

> “ये सब मेरे हौसले को तोड़ने की कोशिश है, लेकिन जनता का विश्वास हमारे साथ है,” उन्होंने कहा।

सीपीआई-माले की कड़ी प्रतिक्रिया:
विधायक की गिरफ्तारी के बाद सीपीआई-माले के राज्य सचिव कुणाल ने इस कार्रवाई को राजनीतिक साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तारी सरकार के इशारे पर की गई है ताकि वामपंथी दलों की आवाज़ को दबाया जा सके।

> “जब चुनाव प्रक्रिया चल रही है और विधायक नामांकन करने आए हैं, तभी उन्हें गिरफ्तार करना यह दिखाता है कि सरकार विपक्ष से डरी हुई है,” कुणाल ने कहा।

उन्होंने चेतावनी दी कि इस घटना से महागठबंधन के भीतर असंतोष और टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। सीपीआई-माले ने मांग की है कि सत्यदेव राम को तुरंत रिहा किया जाए और इस गिरफ्तारी की न्यायिक जांच कराई जाए।

राजनीतिक हलचल तेज:
इस घटना के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है, जबकि प्रशासन का कहना है कि गिरफ्तारी अदालत के आदेश के आधार पर की गई है।

फिलहाल सत्यदेव राम को हिरासत में लेकर पुलिस आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी कर रही है, वहीं सीपीआई-माले ने घोषणा की है कि यदि विधायक को शीघ्र रिहा नहीं किया गया तो राज्यव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा।

 

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