भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर हालात तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत के बाद से देश की सुरक्षा को लेकर माहौल संवेदनशील बना हुआ है। इसी बीच बिहार के कैमूर जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि देशभक्ति की मिसाल भी पेश करती है। कैमूर के अधौरा प्रखंड स्थित चफना गांव के 30+2 उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक वैभव किशोर ने ऐसा कदम उठाया है, जो हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर देगा।
शिक्षक वैभव किशोर ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ को एक औपचारिक पत्र लिखकर भारत-पाक सीमा पर सैन्य अभियान में सहयोग करने की अनुमति मांगी है। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इस शिक्षक की भावना को सलाम कर रहे हैं। पत्र में उन्होंने लिखा है कि मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय हालात को देखते हुए युद्ध की संभावना बढ़ गई है। ऐसे समय में एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में वे देश की रक्षा में प्रत्यक्ष भूमिका निभाना चाहते हैं।
वैभव किशोर ने अपने पत्र में अपने प्रशिक्षण का भी उल्लेख किया है। उन्होंने बताया कि वे राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के ‘C’ सर्टिफिकेट धारक हैं, जिसमें उन्हें ‘BEE’ ग्रेड प्राप्त हुआ है। इसके अलावा उन्होंने दो वर्षीय रोवर/रेंजर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है और वे राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) से भी जुड़े रहे हैं। इस तरह वे किसी भी राष्ट्रीय आपात स्थिति में सहयोग देने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मुझे गर्व होगा अगर मैं मातृभूमि की रक्षा में योगदान दे सकूं। यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण अवसर होगा। मैंने हमेशा अपने छात्रों को देशभक्ति और कर्तव्य की भावना सिखाई है, और अब समय है कि मैं स्वयं उस भावना को अपने कार्य से सिद्ध करूं।”
वैभव किशोर की यह पहल ऐसे समय आई है जब देश एक बार फिर सीमा पर चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है। उनका यह पत्र केवल एक अनुमति की मांग नहीं है, बल्कि यह एक शिक्षक की राष्ट्रभक्ति, दायित्व और साहस का उदाहरण है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि केवल सैनिक ही नहीं, बल्कि शिक्षक भी जब चाहें तो देश की रक्षा के लिए आगे आ सकते हैं।
सोशल मीडिया पर लोग इस पत्र की खूब सराहना कर रहे हैं। कई यूज़र्स ने उन्हें सच्चा देशभक्त बताया है और यह उम्मीद जताई है कि ऐसे नागरिकों की भावना से देश और मजबूत होगा। वहीं, शिक्षा विभाग और प्रशासन की ओर से भी इस पत्र को गंभीरता से लिया जा रहा है।
वैभव किशोर का यह कदम इस बात का उदाहरण है कि देश की सेवा सिर्फ हथियारों से नहीं होती, बल्कि हृदय में उठने वाली सच्ची भावना और ज़िम्मेदारी से होती है। जब देश के शिक्षक इस तरह की प्रेरणादायक भूमिका निभाते हैं, तब नई पीढ़ी भी देशभक्ति और कर्तव्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होती है।
**यह पत्र आज के भारत को यह याद दिलाता है कि सच्चा देशभक्त वही है, जो ज़रूरत पड़ने पर हर भूमिका निभाने को तैयार हो — चाहे वह शिक्षक हो, छात्र या आम नागरिक।**
