बिहार का शिक्षा विभाग पिछले दो-महीने से लगातार विवादों में घिरा रहा है. पहले मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच घमासान छिड़ा. नियोजित शिक्षकों और सरकार के बीच विवाद है. हेडमास्टरों को बोरा के बाद कचरा बेचने को कहा गया है. अब राजभवन और सरकार के बीच टकराव हो गया है. बीजेपी ने इन वाकयों पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि नीतीश कुमार ने बिहार को एक अराजक राज्य में तब्दील कर दिया है.
बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग के मनमाने फैसलों के कारण प्राथमिक स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक अराजकता-अनिश्चितता की स्थिति है. स्कूल के हेड मास्टरों को मिड-डे मील का खाली बोरा-कबाड़ बेच कर पैसे जुटाने का फरमान और अब विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन रोकने के जैसे आदेशों से अराजकता साफ दिख रही है.
अपने अधिकारियों को कंट्रोल करें नीतीश
सुशील मोदी ने कहा है कि शिक्षा विभाग मनमाने तरीके से चलाया जा रहा है. नीतीश कुमार को अपने अतिसक्रिय नौकरशाहों को नियंत्रण में रखना चाहिए, ताकि न शैक्षणिक वातावरण बिगड़े और न राजभवन से टकराव की स्थिति पैदा हो. कहा कि शिक्षा विभाग को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए , जो उसके अधिकार क्षेत्र में न हो.
सुशील मोदी ने कहा है कि शिक्षा विभाग लगातार राजभवन की गरिमा औऱ अधिकार पर हमला कर रहा है. शिक्षा विभाग ने पहले विश्वविद्यालयों में चार साल का डिग्री कोर्स शुरू करने की कुलाधिपति-सह- राज्यपाल की पहल का विरोध किया. अब अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति-प्रतिकुलपति का वेतन रोकने का आदेश जारी कर दिया है. विभाग ने अपनी हदें पार कर दी है.
सुशील मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग को जो काम करना चाहिये वह कर नहीं रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्री वालों के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने पर रोक लगाकर केवल डिप्लोमाधारी ( डीएलएड) को नियुक्ति करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बिहार पर क्या असर होगा, इस पर बिहार सरकार और शिक्षा विभाग ने चुप्पी साध ली है. 4 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के बारे शिक्षा विभाग की अतिसक्रियता क्यों नहीं दिख रही है. सुशील मोदी ने कहा है कि शिक्षा विभाग के फैसलों से जब सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति बन रही है तो मुख्यमंत्री खामोश क्यों बैठे हैं. उन्हें तत्काल इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए
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