बिहार में अब लाल ईंट बनाने के लिए नए लाइसेंस जारी नहीं किए जाएंगे। इस बात की घोषणा बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद एवं डेवलपमेंट अल्टरनेटिव के संयुक्त तत्वावधान में राजधानी के एक होटल में आयोजित कार्यशाला में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि पुराने ईंट-भट्ठों पूर्व की भांति चलेंगे। वर्तमान राज्य में पांच हजार के आसपास लाल ईंट-भट्ठों संचालित किए जा रहे हैं।

सिर्फ फ्लाई-ऐश से निर्मित ईंटों पर जोर

कार्यशाला के दौरान फ्लाई ऐश से निर्मित ईंटों के प्रयोग पर अधिक जोर दिया गया। इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि धरती की ऊपरी परत काफी ऊपजाऊ होती है। उसे बचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। मिट्टी के उपजाऊ परत के निर्माण में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं। ऐसे में मिट्टी की ऊपरी परत को बचाना ज्यादा जरुरी है। 

एनटीपीसी को मुहैय्या कराना है फ्लाई-ऐश

केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, एनटीपीसी को मुफ्त में 300 किलोमीटर के दायरे में ईंट-भट्ठों को फ्लाई-ऐश मुहैया कराना है। लेकिन एनटीपीसी ऐसा नहीं कर रहा है। मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि अधिकांश ईंट निर्माता शिकायत कर रहे हैं कि फ्लाई-ऐश नहीं मिल रही है। मंत्री ने कहा कि कई एनटीपीसी में फ्लाई-ऐश में धांधली की शिकायत भी मिल रही है, इसे दूर करने की जरूरत है। मंत्री ने कहा कि अगर ईंट निर्माताओं को फ्लाई-ऐश नहीं मिलेगी तो वे अपना प्लांट बंद कर देंगे। इससे प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ेगी।

एनटीपीसी ने दिया भरोसा

बिहार राज्य के प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष प्रो.अशोक कुमार घोष ने कहा कि फ्लाई-ऐश का सही निष्पादन बहुत जरूरी है। उसका सही तरीके से निष्पादन नहीं किया गया तो इसका पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसमें एनटीपीसी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। मौके पर एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक एम.वी.आर.रेड्डी ने कहा कि प्रदेश के ईंट निर्माताओं को फ्लाई-ऐश उपलब्ध कराने के लिए समुचित व्यवस्था करेंगे।

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