बेशक विकास हुआ है। कोसी की तस्वीर भी बदली है। कोसी की मुख्य धारा पर सुपौल के सरायगढ़-भपटियाही व सहरसा के बलुआहा में पुल का निर्माण हुआ है। लोगों का आवागमन आसान हुआ है। बावजूद इसके आज भी सहरसा जिले के चार प्रखंड नवहट्टा, महिषी, सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ की लगभग पांच लाख आबादी तटबंध के अंदर निवास करती है।
जंहा कोसी की बाढ़ दियारे के ज्यादातर हिस्से को लील जाती है। उससे लोगों के घर-द्वार डूबने के साथ फसलें नष्ट हो जाती हैं। वहीं हल्की से मध्यम स्तर की वर्षा होने से नेपाल के निचले इलाके सहित सहरसा का कोसी प्रभावित इलाका भी असुरक्षित रहता है। इसलिए दियारा वासी मानसून के शुरू होते ही ईश्वर से नेपाल से सुरक्षा की गुहार लगाना शुरू कर देते हैं।
वही आज महिषी प्रखंड के नव पदस्थापित अंचलाधिकारी अनिल कुमार जब क्षेत्र का दौरा कर रहे थे उसी दौरान महापुरा घाट पहुंचे जहां बाबा कारू का दरबार है हजारों की संख्या में रोज श्रद्धालु वहां आते हैं लेकिन सुविधा के नाम पर सिर्फ निजी नाव है जो लोगों को एक तरफ से दूसरे तरफ पहुंचाने का कार्य करती है वही एक व्यक्ति ने हास्य परिहास में कहा कि मैं पिछले 13 साल बाद अपने ससुराल जा रहा हूं क्योंकि 5 साल से मेरे सास ससुर एवं घरवाले मुझसे ससुराल आने की मिन्नतें कर रहे है ससुराल नहीं जाने का कारण यहां आवागमन की सुविधा ना होने की बात बताई उन्होंने कहा नाव से जाने में डर लगता है
अगर यहां पुल का निर्माण हो जाता तो हमें ससुराल आने जाने में सुविधा होती बात यदि करें हजारों श्रद्धालु की या फिर ऐसे लोगों की जो कोसी के बाढ़ से प्रभावित होते हैं और बांध के अंदर रहते हैं उनके लिए एक पुल बहुत ही महत्वपूर्ण होगा साथ ही साथ कोसी किनारे बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पहले से यदि व्यवस्था की जाए तो बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है
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