बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ऐलान के साथ ही राजनीतिक हलचल पूरे राज्य में तेज हो गई है। मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज निवासी डॉ. मोहम्मद नबी हसन (45) भी फिर से सुर्खियों में हैं। नबी हसन ने अब तक 16 बार चुनाव लड़ चुके हैं और इस बार 17वीं बार अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं। पेशे से इंटीरियर डेकोरेटर नबी हसन का कारोबार कोलकाता में चलता है, लेकिन राजनीति के प्रति उनका जुनून हमेशा बरकरार रहा है।

डॉ. नबी हसन का राजनीतिक सफर बहुत रोचक और संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2006 में पंच पद से की थी और पहली ही बार में जीत दर्ज की। इस जीत ने उनके राजनीतिक करियर की नींव रखी। इसके बाद 2008 में उन्होंने नगर पंचायत बानगियां वार्ड नंबर 5 से चुनाव लड़ा। इसी दौरान उनकी मां जयबुन्नी साह भी वार्ड नंबर 12 से चुनाव में उतरीं। नतीजा दोनों ही उम्मीदवारों के लिए संतोषजनक नहीं रहा, लेकिन नबी हसन का राजनीति का उत्साह और भी बढ़ गया।

2010 में उन्होंने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में भाग लिया, लेकिन जीत नहीं मिली। इसके बाद 2013 में नगरपालिका के पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ा, जहां उन्होंने वार्ड नंबर 5 से उम्मीदवार के रूप में भाग लिया। दिलचस्प बात यह रही कि इस बार भी उनके और उनकी मां के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें मां जीत गईं और बेटा हार गया। 2013 में नबी हसन ने एमएलसी चुनाव में भी हिस्सा लेने की कोशिश की, लेकिन नामांकन प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।

2014 में उन्होंने वैशाली लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्हें 22,455 वोट मिले, जो बिना किसी पार्टी समर्थन के एक उल्लेखनीय प्रदर्शन था। 2015 में विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने जनता के बीच सर्वे कराया और पाया कि फीडबैक मजबूत नहीं है, इसलिए उस बार मैदान में नहीं उतरे।

2018 में उनकी मां ने राजनीति से संन्यास लिया। इस अवसर पर नबी हसन ने नगर पंचायत साहेबगंज से चुनाव लड़ा और पार्षद पद पर जीत हासिल की। उन्होंने कहा, “मैंने जनता के बीच जाकर विकास कार्यों पर ध्यान दिया और जनसेवा को अपनी प्राथमिकता बताया।” 2020 में फिर साहेबगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा मिलने के बाद उन्हें वार्ड नंबर 16 में स्थान मिला। 2022 में वार्ड सभापति पद के लिए नामांकन किया, लेकिन चुनाव रद्द हो गया।

डॉ. नबी हसन का कहना है कि राजनीति उनके लिए सेवा का माध्यम है और हार उन्हें कभी हतोत्साहित नहीं कर पाई। अब जब बिहार विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो चुकी है, उन्होंने अपनी टीम को साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र में सर्वे के लिए भेजा है। उनका कहना है, “अगर जनता का फीडबैक अच्छा रहा, तो इस बार 17वीं बार चुनाव लड़ूंगा। हार मेरे लिए कभी अंतिम शब्द नहीं रही।”

साहेबगंज विधानसभा सीट पर इस बार भी कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। 6 और 11 नवंबर को बिहार में दो चरणों में मतदान होगा और 14 नवंबर को मतगणना होगी। 2020 के विधानसभा चुनाव में साहेबगंज सीट पर वीआईपी के राजू कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी, जबकि आरजेडी के रामविचार राय को हार का सामना करना पड़ा। इस बार डॉ. नबी हसन इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।

डॉ. नबी हसन को राजनीतिक दुनिया में उनके perseverance और जनता से जुड़े रहने की वजह से पहचान मिली है। 16 बार चुनाव हारने के बावजूद उनका उत्साह अब भी उतना ही मजबूत है। उन्हें स्थानीय स्तर पर ‘धरती पकड़’ के रूप में जाना जाता है, जो लगातार जनता की सेवा और विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हैं। नबी हसन का राजनीतिक सफर जोगिंदर सिंह और तमिलनाडु के पद्मराजन जैसी लंबी चुनावी भागीदारी की मिसाल देता है, जिन्होंने कई बार चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड बनाया।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नबी हसन का अनुभव, स्थानीय जन संपर्क और लंबे समय से सक्रिय रहना उन्हें साहेबगंज सीट पर मजबूत दावेदार बनाता है। उनका यह प्रयास भी दर्शाता है कि राजनीति में लगातार प्रयास और जनता से जुड़े रहना सफलता की कुंजी है। नबी हसन का यह आत्मविश्वास और जनसेवा का दृष्टिकोण उन्हें आगामी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने में सक्षम बना सकता है।

इस तरह, डॉ. मोहम्मद नबी हसन 17वीं बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र में जनता की उम्मीदों और विकास की दिशा में अपनी भूमिका निभाने को तैयार हैं। उनके राजनीतिक अनुभव और जनता से सीधा संपर्क उन्हें इस बार सफलता दिलाने में अहम साबित हो सकता है।

 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *