बिहार में शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में खेल को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में इन दिनों जिले में जिला स्तरीय विद्यालय खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में जिले के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं। लेकिन इसी बीच वॉलीबॉल ग्राउंड से एक तस्वीर ऐसी सामने आई है, जिसने सरकारी स्कूलों में खेल विकास की सच्चाई उजागर कर दी।
दरअसल, श्री ब्रह्मचारी आदर्श मध्य विद्यालय, घोघा के कुछ बच्चे बिना सही ड्रेस, बिना जूते और बिना किसी उपकरण के मैदान में खेलने पहुंचे। न तो उनके पास विद्यालय का नाम लिखा टी-शर्ट था और न ही स्पोर्ट्स पैंट। जब हमारे संवाददाता ने उनसे पूछा कि यह स्थिति क्यों है, तो बच्चों ने बताया कि विद्यालय की ओर से उन्हें किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी जाती। इतना ही नहीं, जब वे जिला स्तरीय खेल के फार्म पर साइन करवाने के लिए अपने प्रिंसिपल के पास पहुंचे, तो उन्हें डांट-फटकारकर भगा दिया गया। बाद में गांव के ही एक बड़े भैया की मदद से किसी तरह फार्म पर साइन हो पाया।
स्थानीय निवासी सुमन कुमार मंडल ने बताया कि वे इन बच्चों को खेलते देखकर प्रोत्साहित होते हैं और मदद भी करते हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन की बेरुखी बच्चों के मनोबल को तोड़ रही है। उन्होंने कहा, “यह बच्चे खेल में आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन स्कूल वाले कहते हैं — खेल के क्या करोगे?”
यह तस्वीर बताती है कि सरकारी योजनाएं कागजों से आगे क्यों नहीं बढ़ पातीं।
