ये चमत्कार भरे दो सबसे बड़े टर्निंग प्वाइंट में, 16.1 ओवर पहला सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट है. क्लासेन ने 26 गेंदों पर 52 रन बनाकर मानो खिताबी जीत को औपचारिक बना दिया था, लेकिन 27वीं गेंद उन पर भारी पड़ी. क्लासेन ऑफ स्टंप के बाहर हार्दिक की गेंद पर शॉट खेलने गए, तो विकेट के पीछे पंत को कैच थमा बैठे.
दक्षिण अफ्रीका की उम्मीदों को पलीता लग चुका था. और क्लासेन का आउट होना टीम इंडिया की खिताबी जीत का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट बन गया. 19.1 ओवर दूसरा सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट बना. मैच का दूसरा सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट भी हार्दिक पांड्या ने दिया.
और यह आया पारी आखिरी ओवर की पहली गेंद पर. इस ओवर में दक्षिण अफ्रीका की जीत मुश्किल थी, लेकिन एक छोर पर 17 गेंदों पर 21 रन बनाकर डेविड मिलर जैसा बल्लेबाज जमा हुआ था, तो यह संभव थी.
पांड्या की पहली ही गेंद पर मिलर ने प्रचंड शॉट लगाया, लेकिन सूर्यकुमार ने लांग-ऑफ पर हमेशा यादों में बस जाने वाला कैच लपक कर मिलकर की पारी का अंत किया, जो भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, जिसने टीम इंडिया के लिए विश्व कप सुनिश्चित कर दिया
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