कहा – बिहार की गरीबी, बेरोजगारी और पलायन रोकने के लिए बजट में कुछ नहीं
नीतीश और मोदी ने मिलकर बिहार की जनता को बनाया मूर्ख
सहरसा, पूर्व विधायक किशोर कुमार ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट को चुनावी जुमला बताया. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में बिहार में चुनाव है, इसको ध्यान में रखकर पूर्व के बजट के प्रावधान पर बाजीगरी कर जनता का भरमाने की पूरी कोशिश की गयी है. उन्होंने कहा कि यह बजट चुनाव जीतने के लिए बजट है. इससे बिहार की जनता को कोई फायदा नहीं होने वाला है. साथ ही सुरसा की तरह मुंह खोले खड़े महंगाई से टैक्स में बदलाव नहीं करने से देश की आम जनता को कोई राहत मिलने वाली नहीं है.

किशोर कुमार ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को साधारण और राजनीतिक महत्वाकांक्षा को संतुष्ट करने वाला बताया. उन्होंने कहा कि बजट में जो तीन एक्सप्रेस 26000 करोड़, सिंचाई के लिए 11500 करोड़, पावर प्लांट के लिए 21000 है, वह कोई नया नहीं है। नीतीश सरकार अपना पीठ थपथपा रही है कि अगले 5 वर्ष में बिहार का कायाकल्प होगा, जबकि बिहार के मजदूर पलायन, रोजगार, शिक्षा, मानव विकास, गरीबी के लिए ना बजट में कुछ है और ना अपने 18 वर्ष के कार्यकाल में नीतीश कुमार कुछ कर पाए हैं. बिहार की जनता को विशेष राज्य का दर्जा की उम्मीद थी, उस पर भी नीतीश कुमार और मोदी सरकार ने नाटक कर हम बिहारियों को मूर्ख बनाया है. क्योंकि मोदी को बिहार से सिर्फ सांसद चाहिए और नीतीश को सिर्फ सत्ता.
किशोर कुमार ने साफ़ कहा कि साल 2014 में 31 सांसद, 2019 में 39 सांसद, 2024 में 30 सांसद के बदले में बिहार को क्या मिला? पूर्वोत्तर भारत का ऑक्सफ़ोर्ड कहे जाने वाले पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा नीतीश कुमार नहीं दिलवा सके. कोसी – सीमांचल से एम्स छीन लिया. प्रदेश का एक भी यूनिवर्सिटी शिक्षण के लायक नहीं है. आज बिहार दो तरह के पलायन से जूझ रहा है, जिसमें एक है छात्रों का पलायन और दूसरा है बेरोजगारों का पलायन. एन डी ए की डबल इंजन सरकार इसमें पूरी तरह से विफल रही है. और एक बार फिर पलायन की समस्या को कोई स्थायी निदान इस सरकार के बजटीय एजेंडे में मालूम नहीं पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि मोदी जी, बिहार के लोग आपको सिर्फ वोट देते रहेंगे! दस साल में देने की बात छोरीये आपने आज तक बिहार के विकास को लेकर दिल्ली में एक भी बैठक नहीं की. आज जिस राशि की घोषणा हुई है, वह अलग से नहीं है बल्कि केंद्रीय बजट में जो राज्य का हिस्सा है उसी से दिया है. यह न तो विशेष सहायता है न पैकेज. विशेष राज्य का दर्जा तो इनके जिह्वा पर अब आता भी नहीं है. इसलिए आज बिहार की इस अनदेखी के खिलाफ प्रशांत किशोर जैसे उत्साही युवा जन सुराज अभियान के बाद पार्टी बना कर बिहार में परिवर्तन लाना चाहते हैं, ताकि बिहार का विकास के मामले में देश में अव्वल हो.
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