सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बार फिर से बिहार में जातीय गणना (सर्वेक्षण) को जारी रखने के पटना हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया।
शीर्ष न्यायालय ने साफ कहा कि हम तब तक इस प्रक्रिया यानी जातीय गणना करने या रिपोर्ट प्रकाशित करने पर रोक नहीं लगाएंगे, जब तक इसके खिलाफ प्रथमदृष्टया मामला नहीं बनता हो।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी ने इस मामले में केंद्र सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने की अनुमति दे दी।
पीठ ने केंद्र को यह अनुमति तब दी, जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे इस सर्वेक्षण के कुछ परिणाम हो सकते हैं और इसलिए हम (केंद्र) जवाब दाखिल करना चाहेंगे।
हालांकि उन्होंने जातीय सर्वे के संभावित परिणामों के बारे में पीठ को विस्तार से नहीं बताया। मेहता ने जवाब दाखिल करने की अनुमति देने और तब तक सुनवाई स्थगित करने की मांग की।
इसके बाद शीर्ष कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई 28 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
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