बिहार के दरभंगा जिले में बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रणव कुमार के खिलाफ विजिलेंस विभाग ने बड़ा अभियान चलाया है। दरभंगा हाउसिंग कॉलोनी स्थित उनके किराए के मकान पर डीएसपी सुधीर कुमार के नेतृत्व में सुबह-सुबह छापेमारी की गई। इसी के साथ उनके भागलपुर पैतृक आवास रानी तालाब पर भी स्पेशल विजिलेंस टीम ने दबिश दी। अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार और अवैध लेन-देन की जांच के तहत की जा रही है।
छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में नकदी, महत्वपूर्ण दस्तावेज और अन्य सामग्रियां बरामद हुई हैं। विजिलेंस टीम ने प्रणव कुमार के साथ अन्य दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। विभागीय अफसरों में इस कार्रवाई के चलते अफरा-तफरी का माहौल है। अधिकारियों के अनुसार, बरामद दस्तावेज आगे की जांच में कई गंभीर खुलासों का आधार बन सकते हैं और संभावित भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं का पर्दाफाश कर सकते हैं।
विभागीय अफसरों ने बताया कि यह छापेमारी पूर्व निर्धारित योजना के तहत की गई थी। अब विभागीय स्तर पर सभी रिकॉर्ड और लेन-देन की गहन समीक्षा की जा रही है। इसका उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और विभाग में जवाबदेही बढ़ाना है।
विजिलेंस की कई टीमें एक साथ अलग-अलग ठिकानों पर भी सघन दबिश दे रही हैं, ताकि सभी संभावित सबूत और दस्तावेज बरामद किए जा सकें। टीम ने बताया कि छापेमारी के दौरान बरामद दस्तावेज और नकदी भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति के मामले में निर्णायक साबित हो सकते हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई विशेष रूप से भवन निर्माण विभाग में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की वास्तविक स्थिति उजागर करने के लिए की गई है। अधिकारियों का कहना है कि जांच पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ की जा रही है और जल्द ही इस मामले में स्पष्ट जानकारी सामने आएगी।
इस मामले ने विभागीय अफसरों में हड़कंप मचा दिया है। सभी संबंधित ठिकानों पर विजिलेंस की सघन कार्रवाई से यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामलों में किसी भी तरह की छूट नहीं देने के मूड में है।
प्रणव कुमार के भागलपुर रानीतालाब स्थित आवास पर टीम ने दस्तावेजों, नकदी और अन्य महत्वपूर्ण सामग्री की तलाशी ली। अधिकारियों का कहना है कि इन दस्तावेजों के माध्यम से आगे भ्रष्टाचार के कई पहलुओं का खुलासा संभव है। इस कार्रवाई के बाद विभाग में सख्ती और जवाबदेही का संदेश भी गया है।
इस तरह यह छापेमारी राज्य में विभागीय भ्रष्टाचार और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
