पटना/मुजफ्फरपुर:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। नेताओं के पाला बदलने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। इसी बीच एक बड़ी खबर मुजफ्फरपुर से सामने आ रही है। यहां के पूर्व सांसद अजय निषाद ने कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया है और वह एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में लौट सकते हैं।
बीजेपी में वापसी की तैयारी:
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व सांसद अजय निषाद बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। बताया जा रहा है कि वे पटना स्थित बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे हैं, जहां उनकी पार्टी में पुनः सदस्यता की औपचारिक घोषणा हो सकती है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में अजय निषाद आधिकारिक रूप से भाजपा में “घर वापसी” करेंगे।
विधानसभा चुनाव से जुड़ी चर्चाएं:
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी अजय निषाद को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट दे सकती है। माना जा रहा है कि वे मुजफ्फरपुर जिले की किसी प्रमुख सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि अभी तक अजय निषाद या बीजेपी की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
कांग्रेस से बने थे उम्मीदवार, मिली थी हार:
अजय निषाद ने 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। उन्हें महागठबंधन की ओर से मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। लेकिन इस चुनाव में उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
मतगणना के दौरान बीजेपी प्रत्याशी राजभूषण चौधरी (निषाद) ने 2,34,927 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी।
जहां राजभूषण को 6,19,749 वोट मिले, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अजय निषाद को 3,84,822 वोट ही प्राप्त हुए थे।
क्यों छोड़ी थी बीजेपी?
2024 लोकसभा चुनाव के दौरान जब अजय निषाद को पार्टी टिकट नहीं मिली, तो उन्होंने नाराज होकर बीजेपी छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। लेकिन हार के बाद अब वह फिर से बीजेपी में वापसी की तैयारी में हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी उन्हें एक बार फिर अपने साथ जोड़कर निषाद वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी।
कौन हैं अजय निषाद?
59 वर्षीय अजय निषाद बिहार की राजनीति में एक जाना-माना नाम हैं। वे मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से 2014 और 2019 में सांसद रहे हैं।
उनके पिता कैप्टन जयनारायण निषाद भी इस क्षेत्र से चार बार सांसद रहे और केंद्र सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं।
अजय निषाद ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और भाजपा के संगठन में लंबे समय तक सक्रिय रहे।
राजनीतिक समीकरणों पर असर:
बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे नेताओं के आने-जाने का दौर तेज हो गया है।
अजय निषाद की भाजपा में वापसी न केवल मुजफ्फरपुर बल्कि पूरे तिरहुत क्षेत्र में भाजपा को मजबूती दे सकती है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के लिए यह झटका साबित होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद से ही वह संगठन को मजबूत करने में जुटी थी।
निष्कर्ष:
अजय निषाद की संभावित “घर वापसी” ने बिहार की राजनीति में नई हलचल मचा दी है।
जहां भाजपा इस कदम को अपने लिए राजनीतिक ‘गेन’ के रूप में देख रही है, वहीं कांग्रेस के लिए यह एक और सियासी झटका साबित हो सकता है।
अब सभी की निगाहें अजय निषाद के औपचारिक ऐलान पर टिकी हैं, जो बिहार की चुनावी तस्वीर में नया मोड़ ला सकता है।
